हिंदू सेना के मार्च के मद्देनजर शाहीन बाग में भारी पुलिस बल तैनात; किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन पर रोक

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जारी धरने के बीच दिल्ली पुलिस ने रविवार को शाहीन बाग में एहतियातन धारा 144 लागू कर दी। हिंदू सेना के कार्यकर्ताओं ने यहां मार्च निकालने की बात कही है। ज्वाइंट कमिश्नर डीसी श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस ने जगह-जगह बैनर लगाकर लोगों के एकत्रित होने और प्रदर्शन करने पर रोक लगाई है। उधर, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर समेत हिंसाग्रस्त इलाकों में भी पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई गई।


दिल्ली हिंसा में अब तक 167 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। पुलिस ने 870 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट को लेकर 13 मामले दर्ज हुए हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, अभी जांच चल रही है और यह संख्या बढ़ सकती है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर पुलिस की नजर बनी हुई है। 36 मामले हथियारों के प्रयोग के लिए भी दर्ज किए गए। 


हिंदू सेना के प्रदर्शन के चलते पुलिस सतर्क
शनिवार को दिल्ली हिंसा के खिलाफ हिंदू सेना ने मार्च निकालकर विरोध जताया था। इसमें भाजपा नेता कपिल मिश्रा भी शामिल हुए थे। ऐसे में किसी तरह की अनहोनी को देखते हुए पुलिस ने शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों की सुरक्षा बढ़ा दी है। वहीं, दिल्ली में अब सब कुछ सामान्य होने लगा है। दुकानदार अपनी दुकानें खोल रहे हैं। नौकरीपेशा वाले लोग घरों से निकलकर अब नौकरी पर जाने लगे हैं। रविवार की सुबह भी बाजारों में चहल-पहल देखने को मिली। 



हिंसा प्रभावित लोगों को मुआवजे का एलान
इससे पहले शनिवार को हिंसा प्रभावित क्षेत्र में स्थिति का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इसके बाद केजरीवाल ने मीडिया को बताया कि हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में कुल 18 एसडीएम की तैनाती की गई है। सभी एसडीएम एक-एक घर जाकर हालात का जायजा ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह सभी एसडीएम से पल-पल की रिपोर्ट ले रहे हैं। दिल्ली हिंसा से प्रभावित 69 लोगों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया है। सभी को रविवार तक राशि मिल जाएगी।


870 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया


पुलिस ने दिल्ली हिंसा में शामिल उपद्रवियों की पहचान तेज कर दी है। पुलिस अभी तक इस मामले में 870 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है। अलग-अलग वीडियो, फोटो के जरिए दंगाईयों की पहचान की जा रही है। जाफराबाद में खुलेआम तमंचा चलाने वाले शाहरूख को पकड़ने के लिए भी पुलिस की दो टीमें गठित हुई हैं। वहीं, दिल्ली हिंसा के आरोपी और आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की तलाश पुलिस ने तेज कर दी है। ताहिर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने पांच टीमें गठित की हैं।


एसएन श्रीवास्तव ने पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभाला


1985 बैच के आईपीएस अफसर एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को पुलिस आयुक्त का प्रभार संभाला। दिल्ली हिंसा के बीच उन्हें दिल्ली का विशेष पुलिस आयुक्त (लॉ एंड ऑर्डर) नियुक्त किया गया था। अधिकारी श्रीवास्तव अभी जम्मू-कश्मीर (ट्रेनिंग) में सीआरपीएफ में तैनात थे। इससे पहले पुलिस आयुक्त रहे अमूल्य पटनायक रिटायर हो गए हैं। पटनायक एक महीने पहले ही रिटायर होने वाले थे, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें एक महीने का विस्तार दिया गया था। पुलिस आयुक्त का प्रभार संभालने के बाद श्रीवास्तव ने कहा- उनकी पहली प्राथमिकता है कि वह दिल्ली में हालात को सामान्य करें। दोषियों पर कार्रवाई हो।


दो मार्च से सीबीएसई की परीक्षाएं होंगी 
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दो मार्च से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कराने का फैसला लिया है। शनिवार को बोर्ड की तरफ से इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा भी दायर कर दिया गया। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि परीक्षा के दौरान वह छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चत करें और सुचारू रूप से परीक्षा कराने में बोर्ड की मदद करें।


बीएसएफ जवान के घर पहुंचे अधिकारी
दिल्ली हिंसा में खजूरी खास इलाके में बीएसएफ के जवान मोहम्मद अनीस का घर भी जल गया था। शनिवार को बीएसएफ के डीआईजी हेडक्वार्टर पुष्पेंद्र राठौर कुछ जवानों के साथ अनीस के परिजन से मिलने पहुंचे। उन्होंने परिजन को आश्वस्त किया कि जल्द ही उसका ट्रांसफर दिल्ली कर दिया जाएगा। फिलहाल अनीस ओडिशा में तैनात है। बीएसएफ अधिकारियों ने परिजन को खाने का सामान भी मुहैया करवाया। बीएसएफ वेलफेयर फंड से जवान मो.अनीस के परिजन की मदद की जाएगी।



हम 200 थे और वो हजारों: एसीपी
दिल्ली हिंसा में घायल हुए एसीपी अनुज कुमार ने शनिवार को मीडिया के सामने हिंसा की कहानी बयां की। उन्होंने कहा- जिस दिन उनपर हमला हुआ था उस दिन मौके पर पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम थी। उस दिन हम केवल 200 थे और उपद्रव करने वालों की संख्या हजारों में थी। देखते ही देखते धरना प्रदर्शन बवाल में तब्दील हो गया। लोग आग लगाने लगे, पत्थर फेंकने लगे।